श्री ज्वालपा देवी मंदिर समिति की सदस्यता संबंधी कुछ प्रमुख जानकारियां

 

माँ ज्वालपा में अनन्य श्रद्धाभाव रखने वाला व्यक्ति बिना जाति, धर्म या लिंग का भेदभाव के समिति का साधारण सदस्य बन सकता है बशर्ते वह सनातन संस्कृति की उच्च नैतिक आचरण में आस्था रखता हो। सदस्यता के लिए निर्धारित प्रारूप में आवेदन किया जाता है। साधारण सदस्यता शुल्क रुपये 500/- वार्षिक है। संपोषक सदस्य के लिए शुल्क रुपये 1100/- निर्धारित है। पहले आजीवन सदस्यता का प्रावधान भी था लेकिन अनुभव में यह आया कि अक्सर आजीवन सदस्य बैठकों में आ नही पाते अतः इस सदस्यता को निरुत्साहित किया जाने लगा है। साधारण सदस्यों के लिए यह आवश्यक है कि जब भी कार्यकारिणी की बैठक में आमंत्रित किया जाय, उसे बैठक में भाग लेना होगा। सामान्यतः इस तरह की बैठक में भाग लेने के लिए यात्रा व्यय स्वयं ही वहन करना होता है। समिति की एक साल में कम से कम दो बैठकें अवश्य आहूत की जाती हैं। एक अर्द्ध वार्षिक बैठक और एक वार्षिक बैठक। इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर लघु बैठकें भी आयोजित होती हैं।

अधिक जानकारी समिति की नियमावली में उपलब्ध हैं।

कार्यकारिणी में अति वरिष्ठ सदस्यों को उनकी अनुमति से संरक्षक मंडल में स्थान दिया जाता है। कार्यकारिणी में

अध्यक्ष, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, कनिष्ठ उपाध्यक्ष, मुख्य सचिव, उप सचिव, कोषाध्यक्ष, जनसंपर्क अधिकारी, मुख्यनिर्माण परामर्शदाता, विद्यालय प्रबंधक, व्यवस्थापक, संप्रेक्षक, निर्माण इंजीनियर, साधारण सदस्य और धर्म शिक्षक/ पाठार्थी पंडित होते हैं। समिति के सांविधान में कार्यकारिणी का चुनाव प्रत्येक तीन वर्ष में एक बार किये जैन का प्रावधान है। 

  समिति का प्रयास रहता है ऐसे परिपक्व लोग कार्यकारिणी में सक्रिय रहें जो सेवानिवृत्त हैं, जिनके अन्य  दायित्व बहुत कम हैं, पद की बजाय सेवाभाव में रुचि रखते हों। उन्हें धार्मिक स्थलों की महत्ता समझते हुए व्यवस्था संभालने का अनुभव भी हो। विस्तृत जानकारी समिति की सांविधान पुस्तिका में है।

 

श्री ज्वालपा देवी समिति का विस्तार

 

श्री ज्वालपा देवी मंदिर समिति, ज्वालपा धाम की स्थापना अक्टूबर 1969 में कई गई थी। माँ ज्वालपा के भक्त काफी बड़ी संख्या में गढ़वाल से बाहर भी रहते हैं। दिल्ली में रहनेवाले माता के भक्तों ने इस मंदिर समिति से पहले ही दिल्ली में श्री ज्वालपा देवी पूजन समिति दिल्ली (पंजी.) का गठन कर वार्षिक आयोजन शारदीय नवरात्री में देवी का पाठ और भंडारा आयोजित करने शुरू कर दिया था।

   श्री माया दत्त थपलियाल (स्व.) जो 9, प्रिंसेज पार्क निकट इंडिया गेट, नई दिल्ली में रहते थे, बहुत सामाजिक व्यक्ति थे। उन्होंने दिल्ली में ज्वालपा देवी के भक्तों के साथ विमर्श किया। उन्ही के घर पर एक बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में प्रमुख व्यक्तियों में श्री महिमानंद थपलियाल शास्त्री (ग्राम भटकोटी), श्री लोकेशानन्द शास्त्री, श्री बालम सिंह रावत, श्री रेवत सिंह बिष्ट, श्री पुरुषोत्तम जी, श्री चक्रधर जी, श्री वाणीविलास जी, श्री देवी प्रसाद जी, श्री देवी प्रसाद जी, श्री जीवानंद जी, श्री घनानंद जी, श्री भगवती प्रसाद जी (उपरोक्त महानुभाव अब स्वर्गीय हो चुके हैं) आदि बैठक में सम्मिलित हुए और उन्होंने श्री ज्वालपा देवी पूजन समिति दिल्ली का गठन किया। श्री माया दत्त जी प्रधान, श्री रामकृष्ण जी मंत्री, वाणी विलास जी कोषाध्यक्ष चुने गए और अन्य लोग सदस्य बने।

   सन 1959 में श्री मायादत्त थपलियाल के निवास प्रिंसेज पार्क में समिति का प्रथम पाठ रखा गया। अष्टमी के दिन हवन, पूर्णाहुति और भंडारे का आयोजन किया गया। बाद के वर्षों में श्री मुरारीलाल थपलियाल लंबे समय तक पूजन समिति के अध्यक्ष रहे। उन्होंने पूजन समिति का विस्तार गाज़ियाबाद, नोएडा और फरीदाबाद तक किया। इस दौर में लोगों में ज्वालपादेवी की पूजा के प्रति काफी जुड़ाव देखने को मिला। इस पूजन समिति को जो भी आर्थिक सहयोग मिलता उसे जमा कर इस समिति ने ज्वालपा देवी धाम में “दिल्ली भवन” का निर्माण कराया। बाद में (सन 2000 के करीब) श्री ज्वालपादेवी पूजन समिति दिल्ली ने श्री ज्वालपा देवी मंदिर समिति की उपशाखा के रूप में कार्य करना आरंभ कर दिया। श्री नरेश थपलियाल, श्री अनूप थपलियाल, श्री वीरेंद्र मैठाणी, श्री रविन्द्र बिष्ट, श्री देवेन्द्र बिष्ट, श्री देवेन्द्र थपलियाल मेरठ से श्रीमती नीरा और श्री अमरदेव थपलियाल भी समिति से जुड़े। श्री दुर्गेश बल्लभ थपलियाल ने “मंगल कलश योजना” से बहुत लोगों को जोड़ा। श्री नागेंद्र थपलियाल वर्षों तक पूजन समिति दिल्ली से जुड़े रहे 2021 में मुख्य समिति ने उनका चयन ज्वालपा धाम में व्यवस्थापक के रूप में कर दिया।  श्री सुमन थपलियाल नव ऊर्जा के साथ पूजन समिति दिल्ली के साथ कर्मठता से जुड़े हुए है।  पूजन समिति दिल्ली शारदीय नवरात्रि में विशाल ज्वालपा पूजन का विशाल आयोजन करती है। इसी प्रकार की एक उप समिति का गठन देहरादून में भी किय्या गया था, शुरू में वहां के कार्यकर्ताओं ने उत्साह से भाग लिया अभी वह समिति नई ऊर्जा की तलाश में है। इन समितियों से प्राप्त अंशदान के कुछ भाग को श्री ज्वालपा देवी मंदिर समुति को भहेज दिया जाता है

 

ज्वालपा धाम : अतिथिदेवो भव:

 

समिति द्वारा ज्वालपा धाम आनेवाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए समुचित अतिथिगृह व धर्मशालाएं तैयार करवाई गई हैं। किसी एक दिन में लगभग 125 लोगों के लिए ठहरने की आधुनिक सुविधाओं  सहित व्यवस्था है। पूर्व सूचना हो तो भोजन की व्यवस्था भी उपलब्ध हो जाती है।

श्री ज्वालपा देवी मंदिर समिति से संबंधित समस्त प्रशासकीय

कार्यों के लिए मुख्य सचिव से, ज्वालपा धाम में ठहरने के लिए धर्मशालाओं में कमरे बुक करवाना, किसी ऐसी आवश्यकता हेतु जिसकी सहजता से उम्मीद की जा सकती है, बिजली, पानी, खान-पान संबंधी व्यवस्था के लिए मंदिर समिति के “व्यवस्थापक” से,  मंदिर या समिति सम्बन्धी किसी भी प्रकार की सामान्य जानकारियों के “जनसंपर्क अधिकारी” से सम्पर्क कर सकते हैं। संस्कृत शिक्षा संबंधी जिज्ञासाओं के लिए कनिष्ठ उपाध्यक्ष अथवा विद्यालय प्रबंधक से सम्पर्क कर सकते हैं। कोई दानदाता किसी भी प्रकार के दान देने की जिज्ञासा रखता हो वे कोषाध्यक्ष अथवा व्यवस्थापक से संपर्क कर सकते हैं।

 ज्वालपा धाम में प्रवास के दौरान दर्शनार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि नैतिक आचरण बनाये रखेंगे। धर्मशाला में 3 दिन तक (पूर्व सूचना देकर) अनुमति प्राप्त कर रह सकते हैं। अधिक दिन ठहरने के लिए पहले से आवेदन कर विशेष अनुमति प्राप्त करनी होगी।  समिति की ओर से धर्मशाला निशुल्क है। जो सक्षम हैं वे स्वेच्छा से अपनी रसीद कटवा सकते हैं, ताकि सुविधाओं को बढ़ाने में सहायता मिलती रहे। धर्मशालाओं में शराब पीना, जुआ खेलना या किसी भी अनैतिक/अमर्यादित आचरण की अनुमति नही है। संदिग्ध अवस्था में व्यवस्थापक हस्तक्षेप कर समयानुसार समीक्षा करके कार्यवाही कर सकते हैं।